Raigarhजल आवर्धन योजनापर्यावरणमनरेगारायगढ़वृक्षारोपणसड़क

नव सृजित संरचनाऐं, सहेज रहीं हरियाली*

*नव सृजित संरचनाऐं, सहेज रहीं हरियाली*
*रायगढ़ जिले विभिन्न विकासखंडों में मनरेगा अंतर्गत चल रहा जल संरक्षण के कार्य*


रायगढ़ : – महात्मा गांधी नरेगा का उद्देष्य ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण, सुखे से बचाव हेतु वृक्षारोपण कार्य, लघु सिंचाई, भूमि सुधार/विकास कार्य, जल स्त्रोतों का उन्नयन, बाढ़ नियंत्रण, सहज आवागमन हेतु सड़क निर्माण कार्याें से रोजगार सुनिष्चित किया जाना है।
कार्यक्रम में कार्याें की विविधता को बढ़ाने मांग एवं कार्य स्थलों की उपयुक्तता के आधार पर विविध अनुमेय कार्य की कार्ययोजना तैयार कर मिट्टी में अवषोषण क्षमता बढ़ाने एवं भूमि सतह के कटाव को रोकने संबंधित गतिविधियों के क्रियान्वयन के निर्देष दिये गये हैं। निर्देषों के अनुसार भूमि संरक्षण हेतु बोल्डर बाँध, कन्टुर ट्रेंच, एवं गेबियन बाँधों का निर्माण किया गया है।

उक्त गेबियन संरचना की लम्बाई 18 मीटर है एवं गहराई 2.20 मीटर है। निर्माण के पष्चात 01 वर्ष के बरसात में पहाड़ से बहकर आने वाला मुरुमी मिट्टी एवं रेत नाले की 800 मीटर लम्बाई एवं 02 मीटर गहराई में जमा हो गया है। संरचना से 31680 घनमीटर मिट्टी एवं रेत का संरक्षण हुआ है। आगामी 02 वर्ष में यह 14400 वर्गमीटर भूमि में पत्तों को सड़ने एवं नये पौधों के उगने से हरियाली व्याप्त हो जायेगी, इसी प्रकार विकासखंड धरमजयगढ़ के ग्राम पंचायत पेलमा, जमरगा एवं कुमा में गेबियन संरचनाऐं निर्मित की गई है जिनकी इकाई लागत 90,000/नग है। धरमजयगढ़ विकासखंड में 17 नग गेबियन सरंचनाओें की स्वीकृति प्रदाय की गई थी जिनसे न्यूनतम 3179 वर्गमीटर में भूमि संरक्षण से रकबा में वृद्धि हई है।

 

इसी प्रकार ग्राम पंचायत कुपाकानी विकासखंड लैलुँगा में ढेकी फुटा डोंगरी पहाड़ के पूरे ऊपरी क्षेत्र में 05 एकड़ में कंटुर ट्रेंच का निर्माण कराया गया है। पहाड़ के निचले क्षेत्र में परकोलेषन टैंक का निर्माण किया गया है। टैंक के निर्माण से 14 एकड़ भूमि सिंचित हो रहा है। महात्मा गांधी नरेगा योजानांतर्गत 04 हितग्राहियों द्वारा अपनी निजी भूमि में कुआँ निर्माण कार्य भी कराया गया है। इन हितग्राहियों द्वारा खरीफ फसल के अतिरिक्त सब्जी उत्पादन कर स्थानीय बाजार में बिक्र्री किया जाता है जिससे उनका आजीविका संवर्धन हो रहा है। कुआँ निर्माण कार्य की प्रषासकीय स्वीकृति की राषि 2.50 लाख रू. होती है। त्पकहम जव टंससल उपचार सिद्धांत के अनुसार त्पकहम क्षेत्र में कंटुर ट्रेंच, मध्यम क्षेत्र में परकोलेषन टैंक निर्माण एवं निचले खेतिहर भूमि में निर्मित कुआँ निर्माण कार्य से वर्षभर अच्छा जल स्तर बना रहता है।

भूमि संरक्षण हेतु बोल्डर चेक भी स्वीकृत किये गये हैं इन कार्याें की स्वीकृति 12000 नग औसतन होती है। इनके निर्माण से पहाड़ से आने वाली तीव्र गति से बहते जल प्रवाह के साथ मिट्टी कटाव रूक गया है एवं खेतों में रेत का जमाव नही हो रहा है जिससे खेतों में फसल उत्पादन सुरक्षित तरीके से हो रहा है।
इस प्रकार भूमि संरक्षण कार्याें से नई भूमि विकास का रकबा में सतत् वृद्धि हो रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
×

Powered by WhatsApp Chat

×